
संभल के चलना, कहीं से आ सकता है आवारा पशु! सावधान, अपनी रक्षा खुद करें !!
- आवारा पशुओं की समस्या बीकानेर में विकराल बनने लगी है
- बुजुर्गों व बच्चों को कई बार कर दिया है घायल
- पीड़ित न्यायालय की शरण में भी गये, मगर समस्या नहीं मिटी
- निगम प्रशासन अंकुश लगाने में पूरी तरह से नाकाम
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रितेश जोशी
RNE Special.
सावधान ! यदि घर के किसी बुजुर्ग महिला या पुरुष को अकेले बाजार, चौक भेज रहे है तो थोड़ा थमिये। उनको मत भेजिये। या तो उनको जाने से रोकिये या फिर खुद बचाव के लिए साथ जाईये। अकेले भेजने की गलती मत कीजिये।
रूकिये ! बाजार से सामान लाने के लिए बच्चों को भेजने का जोखिम मत उठाइये। बड़ा रिस्क है ये। उनको सुरक्षित रखना भारत के भविष्य को सुरक्षित रखना है इसलिए रिस्क मत उठाइये।
चोंकिये मत, ये हिदायत आपके हित के लिए ही दे रहे है। अनुभव, तथ्य और स्थिति के अनुसार दे रहे है। इसमें हमारा नहीं आपका ही फायदा है। दूसरा कोई आपको ये बात नहीं कहेगा, वही कहेगा जो इसके दुष्परिणाम से परिचित है।
चेताया इस कारण से है आपको
बीकानेर के मोहल्लों, गलियों, बाजारों व सड़कों पर एक लंबे अरसे से आवारा पशुओं का साम्राज्य है। वे किधर से भी निकल कर दौड़ लगाते आते है और आदमी संभलता है उससे पहले ही उसे अपने सिंग से गिराकर निकल लेते है। उनके बीच में चाहे पुरुष हो, महिला हो, बच्चा हो, कोई दुपहिया या अन्य वाहन हो ये तो उसे गिराते हुए निकल लेते है। इसी कारण कहा कि इन लोगों को मत भेजिये अकेले घर से बाहर।
यहां से आते है ये आवारा पशु
ये आवारा पशु अधिकतर उन डेरियो से निकल कर सड़क, गली, बाजार, मोहल्लों में आते है जो घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र में स्थित है। इन डेयरियों को चलाने वाले आवारा पशुओं को यथा स्थान तो छोड़ते नहीं, खुला छोड़ देते है। क्योंकि ये अब उनके काम के नहीं।
ये पशु पेट भरने के लिए इधर उधर घूमते रहते है। खुले में पड़ी चीजों को खाने की कोशिश करते है और उसी भागदौड़ में लोग इनके शिकार होते है। जबकि इनको रखने का प्रावधान निगम में मौजूद है। मगर वे पूरा दायित्त्व नहीं निभाते। कांजी हाउस और कई गौशालाओं की जिम्मेवारी है मगर उनकी हालत किसी से छिपी नही है। पिछले दिनों पश्चिम के विधायक जेठानन्द व्यास ने मौके पर निरीक्षण किया और अव्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी जताई। गौशालाओं की धांधली का मुद्दा देवीसिंह भाटी ने उठाया हुआ है ही।
कई बार गम्भीर दुर्घटनाएं
आवारा पशुओं के कारण कई बार तो गम्भीर दुर्घटनाएं भी हुई है। हड्डी टूटना, चोटिल होना, सिर पर लगना आदि के साथ कुछ प्रकरणों में तो लोगों को जान तक गंवानी पड़ी। मामला न्यायालय तक पहुंचा। माननीय न्यायालय ने नाराजगी जता निगम को निर्देश भी दिए। मगर निगम की स्थिति वही की वही रही, जो चिंता की बात है। सरकार जब इन आवारा पशुओं के लिए प्रबंध का प्रावधान किए हुए है तो फिर निगम को भी अपना दायित्त्व जन हित में निभाना चाहिए।
अब तो सार्थक कदम उठाये
इतनी विकट स्थिति को देखते हुए आखिरकार नगर निगम प्रशासन को संवेदनशील होना चाहिए। ठोस कदम उठाना चाहिए। जिला कलेक्टर साहिबा को भी हस्तक्षेप कर निर्देश देने चाहिए।